जलती धूप में पाँव पे छाले खाकर भी सदियों से लंबा सफर तय कर लूँ। जलती धूप में पाँव पे छाले खाकर भी सदियों से लंबा सफर तय कर लूँ।
कहीं कमी ना पड़ने दूँ मैं ऑक्सीजन दूँ भरपूर बदले में कुछ ना चाहूं मैं कहीं कमी ना पड़ने दूँ मैं ऑक्सीजन दूँ भरपूर बदले में कुछ ना चाहूं मैं
तू होकर अपना आज गैर - सा लग रहा तू होकर अपना आज गैर - सा लग रहा
हाँ मैं सदियों से हूँ बस तुम्हारे ही प्यार में हाँ मैं सदियों से हूँ बस तुम्हारे ही प्यार में
याद करते हैं लोग अपना उपन्यास अपनी कहानी , भूल गए बचपन की किताबें याद है बस नई किता याद करते हैं लोग अपना उपन्यास अपनी कहानी , भूल गए बचपन की किताबें याद ...
कौन सी साजिश रची गयी कौन सी साजिश रची गयी